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प्यारे देशवासियों, 1. आज भारत माता के एक महान सपूत लौहपुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल की जयंती है, इस अवसर पर सारे देशवासिओं को मेरी हार्दिक शुभकामनाएं। मैं आकाशवाणी को भी इस अवसर पर सरदार पटेल स्मारक व्याख्यान आयोजित करने लिए साधुवाद देता हूँ। जिस व्याख्यान का नाम ही देश की एकता के सूत्रधार के नाम से जुड़ा हो वह स्वयं ही विशेष हो जाता है। देश की आवाज आकाशवाणी के इस प्रतिष्ठित व्याख्यानमाला के तहत अतीत में डॉक्टर जाकिर हुसैन, डॉक्टर एपीजे अब्दुल कलाम, मुरार जी देसाई जैसी हस्तियां अपने विचार जाहिर कर चुकी हैं, ऐसे सरदार पटेल की याद में होने वाले इस व्याख्यान का हिस्सा बनना मेरे लिए गौरव की बात है। इसके लिए मैं आकाशवाणी को धन्यवाद देना चाहूंगा। 2. देश के विभाजन को रोकने में सरदार पटेल की दूरदर्शिता, चातुर्य, कूटनीति और व्यावहारिक दृष्टिकोण का भारत सदैव ऋणी रहेगा। उन्होंने देश के विभाजन के बाद 560 से अधिक रियासतों के भारत संघ में विलय प्रक्रिया में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। जो बात इस उपलब्धि को और भी उल्लेखनीय बनाती है वह यह है कि इसे बिना किसी रक्त-पात के हासिल किया गया। 3. स्थिति के अनुसार अलग-अलग दृष्टिकोण अपनाते हुए, पटेल ने कुछ मामलों में मैत्रीपूर्ण सलाह दी, कुछ मामलों में रजवाड़ों को तर्कपूर्वक राजी किया और यहां तक कि हैदराबाद के मामले में बल का प्रयोग भी किया। यह उल्लेखनीय है कि उन्होंने ऐसे समय में एक एकीकृत देश का निर्माण किया जब रियासतों के शासकों को भारत या पाकिस्तान में शामिल होने या स्वतंत्र रहने का विकल्प दिया गया था। 4. हैदराबाद के निज़ाम ने भारत से स्वतंत्र रहने की महत्वाकांक्षा पाल रखी थी और इस बाबत एक फ़रमान जारी किया। साथ ही, उन्होंने रजाकारों को खुला छोड़ दिया और यहां तक कि हैदराबाद को पाकिस्तान में विलय करने का विचार भी किया, जबकि दोनों के बीच कोई भौगोलिक निरंतरता भी नहीं थी। 5. त्रावणकोर ने भी घोषणा कर दी थी कि वह स्वतंत्र रहेगा और जूनागढ़ के नवाब ने तो पाकिस्तान में शामिल होने की घोषणा की। सरदार पटेल ने जूनागढ़ का भारत में विलय सुनिश्चित किया। एक त्वरित कार्रवाई कोड-नाम "ऑपरेशन पोलो" में, केवल चार दिनों में हैदराबाद को शेष भारत के साथ एकीकृत कर दिया गया। इस विशेष अवसर की स्मृति को बनाये रखने हेतु प्रत्येक वर्ष 17 सितंबर को तेलंगाना, महाराष्ट्र और कर्नाटक के कुछ क्षेत्रों में "हैदराबाद मुक्ति दिवस" के रूप में मनाया जाता है। प्यारे देशवासियों, 6. आधुनिक इतिहास में शायद इस उपलब्धि का कोई सानी नहीं है। सरदार पटेल ने बेहद जटिल पहेली के टुकड़ों को एक समग्र भारत में एकीकृत करके एक ऐसी विरासत छोड़ी, जिसे आज हम वर्तमान भारत के रूप में जानते हैं। वह वास्तव में राष्ट्रीय एकता के प्रतीक हैं। राष्ट्र निर्माण में पटेल के महान योगदान को स्वीकार करते हुए, उन्हें अक्सर भारत के बिस्मार्क की उपाधि से भी अलंकृत किया जाता है। 7. सरदार पटेल जब इंग्लैंड में अपनी कानून की पढ़ाई पूरी करके भारत लौटे, तो ब्रिटिश शासन के खिलाफ महात्मा गांधी के अहिंसक अभियान की ओर आकर्षित हुए। 1924 में, पटेल को अहमदाबाद नगर बोर्ड का अध्यक्ष चुना गया। कार्यभार संभालते हुए, उन्होंने अहमदाबाद की जल निकासी, स्वच्छता, सफ़ाई और जल वितरण प्रणालियों में सुधार किया। अहमदाबाद शहर के लोग अचंभित रह गए जब उन्होंने बोर्ड के अध्यक्ष को स्वयं झाड़ू और धूल की गाड़ी उठाते हुए, शहर की सफाई करते हुए देखा। उनके रूप में अहमदाबाद शहर को एक नया नायक मिला। 8. वल्लभभाई पटेल बहुत जल्दी स्वतंत्रता संग्राम में शामिल हो गए। 1928 के बारडोली सत्याग्रह में उनकी भूमिका ने उन्हें राष्ट्रीय गौरव के एक नए शिखर पर पहुंचा दिया। पूरे देश में जबरदस्त चर्चा का विषय बने किसान आंदोलन ने सरदार पटेल के अथक प्रयास, संगठनात्मक क्षमता और उत्साह को प्रदर्शित किया। यहीं पर उन्हें 'सरदार' की उपाधि मिली, वह उपाधि जिसके द्वारा उन्हें आज भी याद किया जाता है और सम्मान दिया जाता है। 9. सरदार पटेल द्वारा किया गया एक और शानदार योगदान अखिल भारतीय सिविल सेवाओं का निर्माण था। उन्होंने इन सेवाओं की कल्पना 'भारत के स्टील फ्रेम' के रूप में की थी जो देश की एकता और अखंडता की रक्षा करेंगी। उन्होंने सिविल सेवाओं के अधिकारियों से निष्ठा और ईमानदारी के उच्चतम मानकों को बनाए रखने की अपेक्षा की। प्यारे देशवासियों, 10. सरदार पटेल के महान व्यक्तित्व, उनके अतुलनीय योगदान को याद करते हुए, देश उनकी जन्म-जयंती 31 अक्टूबर को 2014 से राष्ट्रीय एकता दिवस के रूप में मना रहा है। 31 अक्टूबर 2018 को, प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा-'स्टैच्यू ऑफ यूनिटी' राष्ट्र को समर्पित की। गुजरात के केवड़िया में सतपुड़ा और विंध्याचल पहाड़ियों की पृष्ठभूमि में 182 मीटर ऊंची सरदार वल्लभभाई पटेल की यह प्रतिमा देश की एकता और अखंडता का प्रतीक है। मैं देशवासियों से विशेषकर युवाओं से अनुरोध करता हूं कि आप केवड़िया स्थित 'स्टैच्यू ऑफ यूनिटी' को जरुर देखें। प्यारे देशवासियों, 11. सरदार पटेल हमेशा चाहते थे कि, भारत सशक्त हो, समावेशी हो, संवेदनशील हो, सतर्क हो, विनम्र हो, और विकसित भी हो। उन्होंने देशहित को हमेशा सर्वोपरि रखा। आज उनकी प्रेरणा से भारत, बाहरी और आंतरिक, हर प्रकार की चुनौतियों से निपटने में पूरी तरह से सक्षम हो रहा है। यह सरदार की सोच की बुनियाद ही है, कि आज भारत हर क्षेत्र में तेजी से आगे बढ़ रहा है, उसका गौरवबोध पूरी दुनिया में स्थापित हुआ है। 12. पिछले कुछ वर्षों से मैंने देखा है कि भारत के विकास की गति में अप्रत्याशित बढ़ोतरी हुई है। आज भारत और भारत के लोगों की पहचान विदेशों में बढ़ी है । आज देश का एक बडा वर्ग यह कहने लगा है कि हम आगामी एक या दो दशकों में, विश्व की महाशक्ति बन जाएंगे और कोई कहता है कि हम विश्व गुरु बनने की कगार पर खड़े हैं, लेकिन जब मैं निष्पक्ष रूप से पिछले कुछ वर्षों का आकलन करता हूं तो मुझे लगता है कि भारत तो आज विश्व की महाशक्तियों में से एक बन चुका है। 13. करोना महामारी की भयावह स्थिति से हम सभी लोग परिचित हैं। ऐसी महामारी हम लोगों ने अपने जीवन काल में कभी नहीं देखी। हमें ऐसा बताया गया है कि ऐसी महामारी पिछले सौ वर्षों के बीच कभी नहीं हुई। इस दौरान हम सबने अपने परिवार वालों को, नजदीकी रिश्तेदारों को, मित्रों को ऑक्सीजन के अभाव में तड़पते हुए देखा है और उनमें से बहुत से लोग हमें छोड़ कर के भी चले गए। यह स्थिति विश्व के सभी देशों में व्याप्त थी। लेकिन भारत ने अपनी सामर्थ्य और क्षमता को पहचानते हुए, मार्च 2020 में, कोरोना निरोधी वैक्सीन अपने देश में ही निर्माण करने का एक साहसिक निर्णय लिया। और मात्र दो माह के बाद ही मई 2020 में, देशवासियों को टीका लगवाना प्रारंभ किया। परिणाम स्वरूप हमने लगभग एक से डेढ़ साल के अंदर ही 200 करोड़ से अधिक मुफ्त टीके लगवा दिए। 14. इस प्रकार हमने न केवल देश के लोगों की जरूरत पूरी की बल्कि उनकी जान भी बचाई और साथ ही ‘वसुधैव कुटुंबकम’ के सिद्धांत को फलीभूत करते हुए अपने पड़ोसी देशों तथा विश्व के अनेक पिछड़े तथा गरीब देशों को वैक्सीन मुफ्त में पहुंचायी। 15. एक अन्य उदाहरण भी मैं देना चाहूंगा, यूक्रेन और रूस के बीच में पिछले एक वर्ष से अधिक युद्ध चल रहा है, निकट भविष्य में समाप्त होने की कोई संभावना भी नहीं दिखती है। विश्व के अधिकांश देश या तो रूस के पक्ष में है या फिर यूक्रेन के पक्ष में खड़े दिखते हैं, लेकिन भारत ने अपने सामर्थ्य को पहचाना और हम अभी तक किसी भी पक्ष के साथ नहीं खड़े हैं। बल्कि भारत तो कहता है कि हम युद्ध के पक्ष में नहीं किन्तु शांति के पक्ष में खड़े हैं। आज के वैश्विक परिस्थितियों में वही देश ऐसी बात कह सकता है जो विश्व की महाशक्ति बनने की सामर्थ्य रखता हो। इस युद्ध के दौरान हमारे 23 हजार से अधिक छात्र, यूक्रेन में फंसे थे। उनको वहां से सुरक्षित निकालने के लिए प्रधानमंत्री ने यूक्रेन और रूस, दोनों के राष्ट्रपतियों से बात की और 24 घंटे के लिए युद्ध विराम हुआ तथा हमारे सभी बच्चे सुरक्षित भारत पहुंच गए। मुझे याद है इस दौरान अमेरिका, चाइना और कुछ यूरोपियन देशों के बच्चे भी वहां फंसे थे, लेकिन इन देशों की सरकारों ने अपने बच्चों को सुरक्षित निकालने में अपने-अपने हाथ खड़े कर दिए थे। इस युद्ध को रोकने के लिए भी हमने एक महाशक्ति जैसे देश का स्टैंड लेते हुए कहा कि Dialogue is the only solution to end this war. हमारे स्टैंड को विश्व के कई देशों ने भी समर्थन दिया। प्यारे देशवासियों, 16. बदलते वैश्विक परिदृश्य में भारत की ताकत लगातार बढ़ी है। हाल ही में इजरायल पर हुए आतंकी हमले के बाद के हालात में भी इसे दुनिया ने देखा। अक्टूबर के पहले हफ्ते में इजरायल पर आतंकी हमले के बाद भारत ने इजरायल के आत्मरक्षा के अधिकार का समर्थन किया। भारत खुद आतंकवाद का शिकार रहा है, बेशक हमने इस पर बहुत हद तक काबू पा लिया है, लेकिन इस खतरे के प्रति हमें सचेत रहना होगा। भारत ने आतंकवाद के खिलाफ अपनी मजबूत राय रखी लेकिन भारत मजलूमों के प्रति अपनी जिम्मेदारी को भी नहीं भूला, गाजा पट्टी के निवासियों के लिए दवा, खाना, कपड़ा भेजने में भी भारत पीछे नहीं रहा। 17. विश्व के कई विकसित देशों और तथाकथित महाशक्ति कहलाने वाले देशों के कुछ अलग-अलग फोरम भी बने हुए हैं। उनमें एक शक्तिशाली मंच जी-20 है। भारत को जी-20 की अध्यक्षता करने का मौका मिला। पिछले कई महीनों से पूरे देश भर में जी-20 से संबंधित सफल आयोजन हुए। इन आयोजनों से भारत को अपनी विकास गाथा और विरासत को विश्व के प्रमुख देशों को दिखाने का मौका मिला है। अभी कुछ दिन पूर्व हम सभी ने देखा कि भारत की अध्यक्षता में G-20 के सफल आयोजन पर दुनिया भर के राष्ट्राअध्यक्षों और प्रतिनिधियों ने कैसे इस आयोजन की तारीफ की है। इस आयोजन के माध्यम से अनिश्चित और विभाजित दुनिया को हम वैश्विक रुप से एकजुट करने में सक्षम रहे हैं। हमने जी-20 के आदर्श वाक्य “एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य” के माध्यम से विश्व कल्याण का मार्ग प्रशस्त किया है। प्यारे देशवासियों, 18. वैश्विक इकोनामी को जानने वाले लोगों का यहां तक कहना है कि आगामी दो-तीन वर्षों में भारत विश्व की 3 आर्थिक महाशक्तिओं में से एक होगा। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के हिसाब से साल 2027 तक भारत की अर्थव्यवस्था 5.2 ट्रिलियन डॉलर की हो सकती है। 2007 में भारत ने एक ट्रिलियन डॉलर की जीडीपी का लक्ष्य हासिल किया था। तब हमारी अर्थव्यवस्था 1.2 ट्रिलियन डॉलर की थी। इसके बाद भारत ने अपनी आर्थिक नीतियों में व्यापक सुधार किए और 2014 तक हमारी इकोनॉमी 2 ट्रिलियन डॉलर की हो गयी। अगले सात वर्षों में फिर से 1 ट्रिलियन डॉलर से ज़्यादा भारत की अर्थव्यवस्था में जुड़े और भारत की मौजूदा अर्थव्यवस्था करीब 3.27 ट्रिलियन डालर की है। जैसे-जैसे भारत आर्थिक विकास और समानता हासिल करता है, वैसे-वैसे दुनिया हमारी ओर उत्सुकता से आकर्षित हो रही है। 19. हमने इस वर्ष विशेष रूप से भारत को शिखर पर जाते हुए देखा है। कुछ दिनों पूर्व जब चंद्रयान-3, चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरा और भारत ऐसा करने वाला पहला देश बना। भारत दुनिया के उन देशों के एलीट क्लब में भी शामिल हो गया है, जो चंद्रमा पर अपना मिशन उतारने में कामयाब रहे हैं। ऐसा करने वाला भारत चौथा देश है। इससे पहले अमेरिका, सोवियत संघ और चीन ने अपने यान चंद्रमा की सतह पर सफलता पूर्वक उतारे हैं। ऐसे में भारत की कामयाबी की पूरी दुनिया में तारीफ़ हो रही है। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के प्रमुख बिल नेल्सन ने भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) को बधाई देते हुए कहा कि हमें इस मिशन में आपका भागीदार बनने की ख़ुशी है। इसी महीने के प्रारम्भ में मुझे अपनी अमेरीका यात्रा के दौरान नासा और जॉनसन स्पेस सेंटर को बहुत करीब से देखने और अंतरिक्ष विज्ञान को समझने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। मुझे यह जानकर बहुत खुशी हुई कि अंतरिक्ष कार्यक्रम के लिए नासा और भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के वैज्ञानिक कई मोर्चों पर एक-दूसरे का सहयोग कर रहे हैं। 20. हाल ही में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने अपने पहले सौर मिशन, आदित्य-एल1 भी लॉन्च किया है। हम सभी के लिए यह गौरव की बात है। आदित्य-एल-1, एक दशमलव पांच मिलियन किलोमीटर की दूरी से सूर्य का अध्ययन करने वाला पहला अंतरिक्ष आधारित वेधशाला (observatory) श्रेणी का भारतीय सौर मिशन है। प्यारे देशवासियों, 21. भारतीय परंपरा सर्वे भवंतु सुखिन: यानी सभी सुखी हों की सोच से प्रेरित है। भारतीय संस्कृति और परंपरा किसी को पराधीन बनाने, किसी के आंसुओं की वजह बनने, या किसी को दुख पहुंचाने की नहीं, बल्कि वसुधैव कुटुंबकम् यानी समूची पृथ्वी, वह पृथ्वी जिसमें सिर्फ मानव ही नहीं है, पशु भी हैं, पेड़-पौधों हैं और समस्त पर्यावरण है, ये सब हमारे बृहत्त परिवार का हिस्सा हैं, भारत इन्हीं मायनों में पूरी दुनिया से अलग है। भारत वैश्विक कल्याण में भरोसा करता है। आज का भारत सरदार पटेल के सपनों का भारत है। 22. मातृभूमि के प्रति सरदार पटेल का प्रेम, उनका नेतृत्व, सादगी, ईमानदारी, सत्यनिष्ठा, व्यावहारिक स्वभाव, जटिल समस्याओं का हल निकलने की कला, व्यावहारिक दृष्टिकोण, सांसारिक ज्ञान, अनुशासन और संगठन कौशल हमेशा हर भारतीय के लिए प्रेरणा बने रहेंगे। धन्यवाद, जयहिन्द।।