उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ कह्यो है के जनजातीय संस्कृति अर धरोहर ने राष्ट्रीय अर अंतरराष्ट्रीय स्तर माथे मान मिलणो चाहिजे। वे आज उदयपुर मांय भगवान बिरसा मुंडा री 150वीं जयंती रा सिलसिला मांय राख्यी ज्या कार्यक्रम मांय बोल रह्या हा। श्री धनखड़ कह्यो के लोभ दे र जनजाति तबका री जनता री आस्था मांय बदलाव री कोशिश करी जा रही है। वे कह्यो के सांस्कृतिक धरोहर म्हाणी नींव है। भगवान बिरसा मुंडा रा योगदान रो जिकर करता थकां वे कह्यो के भगवान बिरसा मुंडा देश री आज़ादी सारु, जनजाति सारु, मिट्टी सारु जो काम कीनो, वां री कल्पना नी करी जा सके है। उपराष्ट्रपति कह्यो के पर्यावरण, देशी जीवन, परिवार अर इंसान रा कर्तव्य रा बारा मांय आदिवासियां ऊं सीख लेवणी चाहिजे। वे कह्यो के ‘जल, जंगल, जमीन’ केवल शब्द नी है, बल्कि जीवन शैली है। उपराष्ट्रपति कह्यो के भगवान बिरसा मुंडा री सीख स्थायी जीवन अर पर्यावरण रा मान रो महत्व बतावे है। वे कह्यो के श्रीमती द्रौपदी मुर्मू रो राष्ट्रपति बणबो जनजातीय गौरव री निशाणी है। वे इण ने भारत रा लोकतंत्र री समावेशिता अर विविधता रो प्रतीक बतायो। उपराष्ट्रपति नौजवानां ऊं भणाई-लिखाई माथे ध्यान देवण बाबत् कह्यो। वे कह्यो के देश तेजी ऊं तरक्की कर रह्यो है अर आवण वाळी पीढ़ियां देश ने नुवी ऊंचाइयां माथे ले जावेला। उपराष्ट्रपति मोहन लाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय मांय राख्यी ज्या कार्यक्रम मांय ई सिरकत कीनी अर एक पेड़ मां के नाम अभियान रा तैत पौधो रोप्यो।