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May 31, 2023
12:12PM

अराकू कॉफी और काली मिर्च को मिला जैविक प्रमाणपत्र

FILE PIC
आंध्र प्रदेश में विशाखापत्तनम के गिरिजन को-ऑपरेटिव कॉरपोरेशन यानी जीसीसी को अपनी प्रसिद्ध अराकू कॉफी और काली मिर्च की फसलों के लिए जैविक प्रमाणपत्र मिल गया है। गिरिजन को-ऑपरेटिव कॉरपोरेशन को कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण यानी एपीईडीएने इसे जैविक दर्जा प्रदान किया है। इस प्रमाणीकरण से कॉफी और काली मिर्च उत्पादों को बाजार में बेहतर मूल्य मिलने की उम्मीद है।

इस कॉफी और काली मिर्च को 21 हजार 104 एकड़ क्षेत्र में उगाया जाता है। अराकू कॉफी और काली मिर्च की पैदावार आन्ध्रप्रदेश के चिंतापल्ली डिवीजन और जीके वीधी मंडल में गोंडीपाकालु, लम्मासिंगी, कप्पलु, जीके वीधी, पेदावलसा और एराचेरुवुलु इलाके में होती है। जिन्हें 1,300 से अधिक आदिवासी किसान उगाते हैं। फिलहाल इनके खेतों का तृतीय-पक्ष से प्रमाणीकरण कराके, उनका ऑनलाइन पंजीकरण, जियो-टैगिंग और एपीडा पोर्टल में सभी जरूरी जानकारियों को अपडेट करना गिरिजन को-ऑपरेटिव कॉरपोरेशन के लिए बड़ी चुनौती थी।

जीसीसी का जैविक प्रमाणीकरण अराकू कॉफी और काली मिर्च के लिए मील का पत्थर है। हालांकि इनके किसानों के लिए अपनी फसलों की जैविकता बचाए रखना भी बड़ी चुनौती है। खास स्वाद और उत्पादन विधि के चलते अराकू कॉफी की वैश्विक कॉफी बाजार में विशेष पहचान है। इसकी वजह से दुनियाभर के काफी शौकीनों की यह प्रीमियम पसंद भी है।

अराकू कॉफी की विशेषता

भारत के आंध्र प्रदेश में हरी-भरी घाटी अराकू घाटी में इस कॉफी की खेती यहां के संरक्षित पारिस्थितिकी तंत्र में की जाती है, जो कॉफी उत्पादन के लिए काफी मुफीद है। अराकू घाटी का मौसम कॉफी उत्पादन के लिए विशेष है। यहां दिन में गर्मी रहती है, जबकि रातें बेहद ठंडी होती है। इसके साथ ही यहां की मिट्टी में भरपूर आयरन है। इसकी वजह से यहां उत्पादित होने वाली काफी धीरे-धीरे पकती है और उसकी विशेष सुगंध बरकरार रहती है।

अरबी कॉफी की प्रजाति

आंध्र प्रदेश और ओडिशा में उगाई जाने वाली यह कॉफी, अरबी कॉफी प्रजाति से है। अरेबिका कॉफी मूल रूप से इथियोपिया के दक्षिण-पश्चिमी द्वीपों के जंगलों में उगती है। इसे "अरब की कॉफी झाड़ी", "माउंटेन कॉफी" या "अरेबिका कॉफी" के रूप में भी जाना जाता है। अराकू वैली में इसे उगाया जाता है, जो उड़ीसा के कोरापुट जिले और आंध्र के विशाखापत्तनम जिले के पहाड़ी ट्रैक तक फैली है। यह इलाका समुद्र तल से औसतन 900 से 1100 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है।

अराकू कॉफी के लिए भौगोलिक क्षेत्र

आंध्र प्रदेश के विशाखापत्तनम जिले और उड़ीसा के कोरापुट जिले के आसपास के क्षेत्रों में कॉफी की खेती के लिए आवश्यक बुनियादी भौतिक और जलवायु परिस्थिति है। यह पहाड़ी क्षेत्र में 3000 से 5300 फीट की ऊंचाई पर उगाई जाती है। जहां काफी उगाई जाती है, वहां दक्षिण-पश्चिमी और उत्तर-पूर्वी मानसून बेहद मेहरबान रहता है। यहां औसतन 1250 से 1500 मिमी बारिश होती है, जबकि यहां के वातावरण की आर्द्रता 68 से 92 प्रतिशत के बीच रहती है। यहां की 6.0 से 6.5 के पीएच स्तर वाली मिट्टी रेतीली और दोमट है। यह इलाका तीव्र ढलुआ है।


अराकू कॉफी के लिए उपयुक्त मिट्टी

अराकू घाटी की लाल लेटराइट मिट्टी इस कॉफी के लिए बेहतर है। इस कॉफी की पैदावार विशेष तौर पर कार्बनिक पदार्थ युक्त अम्लीय मिट्टी में होती है। इसकी वजह से पौधों को पोटेशियम खूब मिलता है, जबकि फास्फोरस कम होता है। अराकू घाटी में कॉफी उत्पादन के लिए मिट्टी में कैल्शियम और मैग्नीशियम डालने की जरुरत नहीं होती।

अराकू कॉफी की खासियत

अराकू क्षेत्र की कॉफी हल्के से मध्यम शरीर वाली, हल्की अम्लता और गुड़ की हल्की मिठास के साथ कुछ-कुछ अंगूर जैसी खट्टी होती है । अराकू घाटी की कॉफी में कभी-कभी शहद जैसी मिठास तो कभी-कभार वाइन का हल्का स्वाद के साथ ही कई बार चेरी जैसे फलों का भी स्वाद मिलता है।

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