सर्वोच्च न्यायालय ने आज कहा कि दंड प्रक्रिया संहिता की धारा-125 के अंतर्गत एक मुस्लिम महिला को अपने पति से गुजारा भत्ता पाने का अधिकार है। न्यायाधीश बी. वी. नागरत्ना और ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की एक पीठ ने इस मामले में दायर याचिका को खारिज कर दिया जिसमें एक व्यक्ति ने धारा-125 सीआरपीसी के अंतर्गत अपनी तलाकशुदा पत्नी को गुजारा भत्ता देने संबंधी निर्देश के विरुद्ध याचिका दायर की थी।
पीठ ने यह भी आदेश दिया कि आवेदन लंबित रहने के दौरान अगर महिला को तलाक दिया जाता है तो वह विवाह अधिकार संरक्षण संबंधी 2019 के अधिनियम का सहारा ले सकती हैं। पीठ ने कहा कि मुस्लिम महिला (तलाक पर अधिकारों का संरक्षण) अधिनियम 1986 धर्मनिरपेक्ष कानून पर हावी नहीं होगा। पीठ ने यह भी कहा कि 2019 के अधिनियम के तहत उपाय सीआरपीसी की धारा 125 के तहत उपाय के अतिरिक्त है। सर्वोच्च न्यायालय ने स्पष्ट किया कि गुजारा भत्ता मांगने का कानून सभी महिलाओं के लिए वैध होगा न कि सिर्फ शादीशुदा महिलाओं के लिए।