संतो ने दिया भेदभाव/जाति प्रथा से उठ कर राष्ट्रहित में कार्य करने का संदेश

विश्व हिन्दू परिषद की स्थापना के षष्टिपूर्ति वर्ष यानि 60वां स्थापना दिवस के कार्यक्रमों की श्रृंखला में हमीरपुर प्रखण्ड का कार्यक्रम स्थानीय श्री सत्यनारायण मंदिर में आयोजित किया गया कार्यक्रम की अध्यक्षता सेवानिवृत प्राचार्य हरी चंद शर्मा ने की। इस अवसर पर विश्व हिन्दू परिषद मार्ग दर्शक मण्डल के संत श्री सर्वेश्वरा नन्द सरस्वती महाराज, महंत श्री श्री 1008 राकेशदास जी महात्यागी ने भी अपना आशीर्वचन दिया ।

कार्यक्रम के मुख्य वक्ता विश्व हिन्दू परिषद हिमाचल प्रांत के सह प्रांत मंत्री पंकज भारतीय ने विश्व कल्याण का मूल मंत्र केवल सनातन धर्म को करार दिया। उन्होने कहा की विश्व में जहां अन्य पंथ अपने को सर्वश्रेस्ठ बनाए रखने की होड़ में बकियों पर हिंसा कर रहे हैं, वहीं सनातन धर्म वसुधेव कुटुम्भ्कम की बात करता हैं। सभी का कल्याण हो, यह अवधारणा केवल सनातन हिन्दू धर्म में ही हैं ।

 

उन्होने कहा कि समान नागरिक संहिता वर्तमान समय की पुकार हैं क्योंकि जनसंख्या के आधार पर देश के विभाजन करने कि एक और भूमिका तैयार कर दी गयी हैं। यहां तक की विदेशी धन से लालच देकर अनुसूचित जाति जनजाति के लोगों को जो धर्मांतरित करने वाले पादरियों को भी जब तक बेदखल नहीं किया गया, यह कार्य देश के लिए घातक ही साबित होगा। देश को तोड़ने वाली व राष्ट्र धर्म विरोधी संगठन जैसे टुकड़ा टुकड़ा गैंग, तथाकथित सेक्युलर लोग, आतंकवादी संगठन भारत की पुरातन संस्कृति और यहां के नैतिक मूल्यों को नष्ट करने में लगे हुए हैं।

उन्होने कहां कि वर्तमान में हिंदू और सनातन संस्कृति पर हो रहे हमलों और प्रहारों तथा बढ़ती विघटनकारी शक्ति, अवैध धर्मांतरण, लव जिहाद, को रोकने के लिए समस्त हिंदू समाज को संगठित शक्ति बनकर इन विघटन कार्य समस्याओं से निपटने हेतु समर्थ व सक्षम बनना होगा। भेदभाव मुक्त हिंदू समाज, स्वाभिमान संपन्न हिंदू समाज, आक्रामक हिंदू समाज, समाज जीवन मूल्यों का आग्रह हिंदू समाज और अजेय हिंदू समाज खड़ा करने का कार्य आज विश्व हिंदू परिषद के माध्यम से हो रहा है।

उन्होने कहा कि पिछले 5 दशकों में विश्व हिंदू परिषद की अनेक सफलताओं के बावजूद हिंदू समाज के लिए भविष्य चुनौतियों से भरा है। विधर्मियों की बढ़ती जनसंख्या के प्रभाव को हम पड़ोसी देश बांग्लादेश की स्थिति से ही समझ सकते हैं। आज भारत पाकिस्तान और बांग्लादेश जैसे मुस्लिम देशों से घिरा हुआ है, जनसंख्या वृद्धि के उद्देश्य से किसी विशेष धर्म के लोगों की घुसपैठ और बहु विवाह को रोकने में असमर्थ कानून देश के लिए एक धीमा जहर है। इन समस्याओं को लेकर हिंदू समाज सरकार और विपक्ष दोनों पर सख्त कानून बने इसका दबाव बनाना होगा।
उन्होंने कहा कि आज से 60 वर्ष पूर्व मुंबई के संदीपनी आश्रम में श्री कृष्ण जन्माष्टमी के अवसर पर उस समय के हिंदू संत समाज ने देश की तात्कालिक परिस्थितियों को देखते हुए एक हिंदू संगठन जो विशुद्ध रूप से पूरे विश्व में हिंदुओं को संरक्षण संगठित और एकजुट करने का कार्य करें इसकी आधारशिला रखी थी। आज उसे संगठन को वट वृक्ष का रूप लेते हुए पूरे 60 वर्ष हो गए हैं।

1964 से शुरू हुआ यह सफर 1966 में प्रथम विश्व हिंदू सम्मेलन की परिणीति के रूप में सामने आया। उस सम्मेलन में सभी परम पूजनीय शंकराचार्य, पूजनीय संत महंत एक मंच पर आकर “हिंदवा सहोदरा सर्वे, न हिन्दू पतितो भवेत”, “मम दीक्षा हिन्दू रक्षा, मम मंत्र समानता” का संदेश देकर संपूर्ण हिंदू समाज को एक मंच पर लाने का आह्वान करते हैं।

भारतीय ने कहा कि विश्व हिंदू परिषद का लक्ष्य हिंदू समाज को संगठित करना, भाषा संप्रदाय, मत संप्रदाय और वर्ग भेद को दूर करना, नैतिक और आध्यात्मिक जीवन मूल्यों की रक्षा और पोषण करना है। विश्व हिंदू परिषद समाज में व्याप्त अस्पृश्यता की बुराई को दूर कर, धर्म परिवर्तन कर चुके हिंदुओं को वापस हिंदू धर्म में लाकर तथा विदेश में रहने वाले हिंदुओं को हिंदू धर्म से जोड़कर विश्व मंच पर एक सशक्त हिंदू समाज का स्तंभ बनने के लिए कृतसंकल्प है।

उन्होने कहा कि हिंदू धर्म के सिद्धांतों के अनुसार जीवित लोगों का कल्याण विश्व हिंदू परिषद की गतिविधियों का केंद्र है। आज भारत के लाखों गांवों और शहरों में विश्व हिंदू परिषद की मजबूत प्रभावी और बढ़ती उपस्थिति देखी जा सकती है। उन्होने बताया कि विश्व हिंदू परिषद भारत के अलावा 80 देश में कार्य कर रही है और 32 देश में इसकी समितियां हैं। बजरंग दल, दुर्गा वाहिनी, मातृशक्ति, गौ रक्षा, सेवा, सामाजिक समरसता, धर्म प्रसार जैसे आयाम के माध्यम से विश्व हिंदू परिषद पिछले 60 वर्षों में एक मजबूत और आत्मविश्वासी हिंदू संगठन के रूप में आकर ले रहा है।

उन्होंने कहा कि विश्व हिंदू परिषद द्वारा समाज के वंचित समाज के सभी भाई बहनों को समान अधिकार दिलाने के लिए व्यापक प्रयास किए गए हैं और यह केवल कहने के प्रयास नहीं करके भी दिखाया है, 1989 में श्री राम जन्मभूमि मंदिर निर्माण के लिए जो पहले ईट रखी गई, वह बिहार के वंचित समाज के सदस्य श्री कामेश्वर चौपाल द्वारा रखी गई थी जो हिंदू एकता की एक ऐतिहासिक मिसाल बनी थी।

 

इस अवसर पर उन्होने बताया कि संतों ने काशी शमशान के स्वामी डोम राजा के घर भोजन करना सामाजिक समरसता का उत्कृष्ट उदाहरण था। बात चाहे 1986 में पंजाब के आतंकवाद में सद्भावना यात्रा की हो या फिर 1996 में कश्मीर में अमरनाथ यात्रा को जब चुनौती दी गई तो बजरंग दल के संख्या कार्यकर्ताओं ने अमरनाथ यात्रा पर जाकर उग्रवादियों के मंसूबों पर पानी फेर दिया। आतंकवादियों के एजेंडे पर इसी प्रकार जब-जब देश की एकता की बात आई तो विश्व हिंदू परिषद पहली पंक्ति में खड़ा मिला।

 

उन्होंने कहा कि देश के असंख्य राज्यों में मौजूदा लव जिहाद और भूमि जिहाद कानून, विश्व हिंदू परिषद द्वारा व्यापक जन जागरूकता का ही परिणाम है। विश्व हिंदू परिषद के प्रयासों से ही विधर्मियों से बहन बेटियों एवं संपत्ति की रक्षा संभव करने के प्रयास किया जा रहे हैं, गौ माता और बेटियों की रक्षा में ग्राम ग्राम में बजरंग दल की अनेक सफलताओं का साक्षी समस्त हिंदू समाज है। आज पूरे देश में 72 लाख से अधिक सदस्यों के साथ विश्व हिंदू परिषद स्वास्थ्य, शिक्षा, व्यक्तिगत सशक्तिकरण और ग्रामीण विकास से संबंधित परियोजनाओं के माध्यम से देश के बुनियादी विकास में आदित्य योगदान दे रहा है। करोना काल में विश्व हिंदू परिषद के कार्यकर्ताओं ने अनेक सेवाओं के साथ-साथ पार्थिव शरीर की अंतिम संस्कार हिंदू रीति से कर कर लोगों के दिलों में हिंदू धर्म रक्षक के रूप में अपनी जगह बनाई है।

 

 

 

 

 

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