अगस्त 31, 2024 4:43 अपराह्न | प्रधानमंत्री

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महिलाओं पर अत्‍याचार और बच्‍चों की सुरक्षा समाज के लिए गंभीर चिंता के विषय हैं- प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी  

 

    प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी ने कहा है कि महिलाओं पर अत्‍याचार और बच्‍चों की सुरक्षा समाज के लिए गंभीर चिंता के विषय हैं। उन्‍होंने कहा कि देश में महिलाओं की सुरक्षा के लिए कानून बनाए गए हैं लेकिन इसे और अधिक सक्रिय बनाने की आवश्‍यकता है। प्रधानमंत्री ने आज नई दिल्‍ली के भारत मंडपम में जिला न्‍यायपालिका के दो दिन के राष्‍ट्रीय सम्‍मेलन का उद्घाटन करने के बाद यह बात कही। उन्‍होंने कहा कि महिलाओं के खिलाफ अत्‍याचार से संबंधित मामलों में जितने जल्‍दी से निर्णय लिए जाएंगे उतने ही जल्‍दी महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित हो पाएगी।

    श्री मोदी ने कहा कि सर्वोच्‍च न्‍यायालय की स्‍थापना के 75 वर्ष पूरे होने से लोकतंत्र की जननी के रूप में भारत का सम्‍मान बढ़ा है। उन्‍होंने कहा कि सर्वोच्‍च न्‍यायालय का 75 वर्ष, भारतीय संविधान और इसके संवैधानिक मूल्‍यों की यात्रा है। उन्‍होंने कहा कि यह भारतीय लोकतंत्र के अधिक परिपक्‍व होने की भी यात्रा है। श्री मोदी ने कहा कि आपातकाल के काले समय में भी सर्वोच्‍च न्‍यायालय ने देशवासियों को मौलिक अधिकारों की गारंटी दी और राष्‍ट्रीय हित के किसी भी सवाल पर न्‍यायालय ने राष्‍ट्रीय एकता की हमेशा रक्षा की है। उन्‍होंने कहा कि देश की जनता ने कभी भी सर्वोच्‍च न्‍यायालय या भारतीय न्‍यायिक व्‍यवस्‍था पर सवाल नहीं उठाया है इसीलिए सर्वोच्‍च न्‍यायालय की स्‍थापना के 75 वर्ष पूरे होने से लोकतंत्र की जननी के रूप में भारत का गौरव बढ़ा है। प्रधानमंत्री ने कहा कि इससे सत्‍यमेव जयते के सांस्‍कृतिक उदघोष पर भी बल मिलता है। उन्‍होंने कहा कि भारतीय लोकतंत्र में न्‍यायपालिका को संविधान का संरक्षक माना जाता है और यह अपने आप में ही एक बड़ी जिम्‍मेदारी है। श्री मोदी ने कहा कि लोग बड़े संतोष से यह कह सकते हैं कि सर्वोच्‍च न्‍यायालय ने अपने दायित्‍वों को पूरा करने के लिए उत्‍कृष्‍ट प्रयास किए हैं।

    भारतीय न्‍याय संहिता के बारे में प्रधानमंत्री ने कहा कि इन कानूनों की भावना है –  नागरिक प्रथम, प्रतिष्‍ठा प्रथम और न्‍याय प्रथम।

    श्री मोदी ने कहा कि पिछले दस वर्षों में न्‍याय मिलने में देरी को दूर करने के लिए कई स्‍तरों पर काम किए गए हैं। उन्‍होंने कहा कि देश में न्‍यायिक ढांचे के विकास के लिए करीब आठ हजार करोड़ रूपए खर्च किए गए हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि आजादी के अमृतकाल में 140 करोड़ देशवासियों का एक ही सपना है – विकसित भारत, नया भारत।

    प्रधानमंत्री ने इस अवसर पर एक डाक टिकट और सर्वोच्‍च न्‍यायालय की स्‍थापना के पचास वर्ष पूरा होने पर एक सिक्‍का भी जारी किया।

    सर्वोच्‍च न्‍यायालय के मुख्‍य न्‍यायाधीश डी. वाई चंद्रचूड़ ने अपने संबोधन में कहा कि यह सम्‍मेलन अखिल भारतीय जिला न्‍यायाधीश सम्‍मेलन की अगली कड़ी है। पहले यह सम्‍मेलन इस वर्ष मार्च में कच्‍छ में हुआ था जहां पर भारतीय न्‍याय और कानून व्‍यवस्‍था से जुड़े महत्‍वपूर्ण मुद्दों तथा कानून और समाज के ढांचे में न्‍यायपालिका की भूमिका पर विचार-विमर्श हुआ था। उन्‍होंने कहा कि इस सम्‍मेलन से जिला न्‍यायालय और प्रत्‍येक नागरिक के बीच संवाद हो पाएगा ताकि जिला न्‍यायालय के न्‍यायाधीश इन मुद्दों को समझ सकें और भविष्‍य की कानून व्‍यवस्‍था के प्रति सामूहिक परिकल्‍पना तैयार कर सकें। मुख्‍य न्‍यायाधीश ने कहा कि राष्‍ट्रीय न्‍यायिक डाटा ग्रिड के आंकडों से पता चलता है कि अक्‍सर किसी वादी के लिए जिला न्‍यायालय कानून को पहला नहीं बल्कि अंतिम कानूनी संपर्क माध्‍यम समझा जाता है।

    सम्‍मेलन को संबोधित करते हुए केंद्रीय कानून और न्‍याय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने कहा कि तीसरे चरण की ई-अदालत के लिए करीब सात हजार दो सौ करोड़ रूपए आवंटित किए गए हैं जिनमें क्‍लाउड तकनीक और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जैसी गतिविधियों में तेजी लाई जा रही है।

    भारत के अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी, सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्‍यक्ष कपिल सिब्‍बल, बार काउंसिल ऑफ इंडिया के अध्‍यक्ष मनन कुमार मिश्रा ने भी सम्‍मेलन को संबोधित किया।

    सर्वोच्‍च न्‍यायालय द्वारा आयोजित दो दिन के इस सम्‍मेलन में जिला न्‍यायपालिका से संबंधित मुद्दों पर पांच सत्र आयोजित होंगे जिनमें बुनियादी सुविधाओं, समावेशी अदालत, न्‍यायिक सुरक्षा मामला प्रबंधन और प्रशिक्षण शामिल हैं।

 

 

 

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