अगस्त 30, 2024 5:01 अपराह्न | HIMACHAL PRADESH NEWS | SHIMLA NEWS

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देवभूमि कुल्लू जिला में 4 सितंबर को धूमधाम के साथ मनाया जाएगा बीस भादो का त्यौहार पवित्र स्नान

देवभूमि जिला कुल्लू, मंडी व् कांगड़ा के मध्य पर्वत श्रृंखला पर स्थित पवित्र झील डायनासोर में 20 भादो का शाही स्नान पर पर्वत प्रतिबंध रहेगा। लगघाटी, चौहार घाटी, बरोट व छोटा भंगाल के देवी देवताओं ने यह प्रतिबंध लगाया है। डायनासोर झील समुद्र तल से 12,000 फीट की अधिक ऊंचाई पर स्थित करीब डेढ़ किलोमीटर के दायरे में फैली पवित्र झील है। जहां प्राचीन काल में देवी देवताओं के पवित्र शाही स्नान होता है। कुल्लू जिला में बीस भादो के दिन स्नान का बहुत महत्त्व है तथा इस दिन लोग विभिन्न नदियों के संगमो, सरोवरों व् प्राकृतक झरनो, झीलों में स्नान करने जाते है l माना यह जाता है कि इस समय बरसात का मौसम ख़त्म होने को होता है तथा पहाड़ो पर वर्षा के चलते जड़ी-बूटिया इत्यादि उगी होती है और इन्ही जड़ी बूटियों का पानी चशमो व् झीलों के माध्यम से आता है जो त्वचा की कई तरह की बामारियो को ठीक करने में लाभदायक होता है|   

 

माता फुंगणी के कारदार रामलाल ठाकुर ने बताया कि यहां झील को अपवित्र किया जा रहा है। जिस कारण से देवी देवताओं ने प्रतिबंध लगाया है। उन्होंने कहा कि लगघाटी, चौराहा घाटी व छोटा बंगाल के देवी देवताओं ने यह प्रतिबंध लगाया है। उन्होंने कहा कि सात देवता माता फुगंणी, कतरूसी नारायाण, त्रिजुगी नारायण, पंचाली नारायण, फलाणी नारायण हुरंग नारायण व वीर नाथ के देवी देवताओं ने गुरबाणी में कहा कि डायनासोर झील गंदगी से अपवित्र हो रही है क्योंकि लोग यहां आकर झील में गंदगी फैला रहे हैं और कई प्रकार के निषेध वस्तुओं को ले जा रहे हैं, जिससे देव स्थल अपवित्र हो रहे हैं। जिस कारण से देवी देवताओं ने प्रतिबंध लगाया है। उन्होंने कहा कि देवी देवताओं व माता फुंगणी के गुर देवता और हरियान पालन करेंगे। उन्होंने कहा कि इस बार डायनासोर झील में स्नान करने की इजाजत नहीं है और डायनासोर में बीस भादो को शाही स्नान नहीं होगा। उन्होंने कहा कि यहां के लिए न ही यातायात का साधन है और न ही प्रशासन का कोई पहरा है। हिमाचल में देवभूमि होने के चलते बड़ी त्रासदी हुई है सभी देवी देव आदेश मानने होंगे जो देव आदेशों का उल्लंघन करता है तो उन पर सख्त से सख्त कार्रवाई की जाएगी। प्रशासन और सरकार से आग्रह किया कि जितने भी धार्मिक स्थल है उन्हें पर्यटन स्थल न बनाया जाए।

 

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