THE HEADLINES:
⦁ Union Cabinet approves phase 5A of Delhi Metro worth 12 thousand 15 crore rupees; Three metro corridors R K Ashram to Indraprastha, Aerocity to Airport Terminal 1, and Tughlakabad to Kalindi Kunj approved and 13 new metro stations to be constructed.
⦁ पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने कहा – कुछ राजनीतिक दल अरावली पर्वतमाला पर सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय के बारे में भ्रम फैला रहे हैं। उन्होंने दोहराया – सरकार अरावली के संरक्षण के लिए वचनबद्ध है।
⦁ Indian Space Research Organisation successfully launches next-generation US communication satellite BlueBird Block-2; Prime Minister Narendra Modi hails ISRO for placing heaviest satellite ever launched from Indian soil.
⦁ कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा – विकसित भारत जी राम जी में राज्य केवल कार्यान्वयन एजेंसियां नहीं बल्कि विकास में भागीदार हैं।
⦁ Uddhav Thackeray led Shiv Sena and Raj Thackeray’s Maharashtra Navnirman join hands to contest Civic Polls in Mumbai.
⦁ घने कोहरे के कारण दिल्ली में कई हवाई और रेल सेवाएं बाधित। लगभग 16 उड़ानें रद्द और दिल्ली आने वाली 50 से अधिक रेलगाडियां के आवागन में देरी।
⦁ World famous Dhanu Yatra to begin at Bergarh in Odisha this evening; President Droupadi Murmu says, it will foster spiritual consciousness in society.
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And now, time for our segment Dateline India, in which we take a look at the developments taking place at the national or global level. Today, we will talk about:
ACCLAIMED WRITER VINOD SHUKLA PASSED AWAY
Renowned litterateur and Jnanpith Award awardee Vinod Kumar Shukla passed away in Raipur yesterday. Mr. Shukla, who was around eighty-eight years old, had been undergoing treatment at the All India Institute of Medical Sciences, AIIMS Raipur, for the past few days. He breathed his last at around five yesterday evening.
जाने-माने साहित्यकार और ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित स्वर्गीय विनोद कुमार शुक्ल का छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया। श्री शुक्ल का कल लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया था। पेश है हमारे रायपुर संवाददाता की यह रिपोर्ट –
विनोद कुमार शुक्ल का जन्म छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव शहर में वर्ष 1937 में हुआ था। बचपन से ही उन्हें अध्ययन और लेखन में रूचि पैदा हुई। श्री शुक्ल पिछले पचास वर्षों से अनवरत साहित्य लेखन में जुटे हुए थे। उपान्यास ‘‘दीवार में एक खिड़की’’ के लिए उन्हें साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। इसके अलावा उनका उपान्यास ’नौकर की कमीज़’, काव्य संग्रह ‘लगभग जयहिन्द’ और कहानियों के संग्रह ‘पेड़ों पर कमरा’ को भी काफी ख्याति मिली थी। श्री शुक्ल की अनेक किताबों का कई भाषाओं में अनुवाद हो चुका है।
हिन्दी के साहित्यकार और व्यंगकार गिरीश पंकज ने कहा कि विनोद कुमार शुक्ल ने अपने भाषा शिल्प के कारण हिन्दी साहित्य में अलग पहचान बनाई।
कुछ समय पहले आकाशवाणी समाचार को दिए एक साक्षात्कार में विनोद कुमार शुक्ल ने कहा था कि हर व्यक्ति को अपनी जिंदगी के बारे में एक किताब लिखनी चाहिए।
वैसे तो श्री शुक्ल की अनेक कविताएं बहुत प्रसिद्ध है, लेकिन एक कविता जो उनके दिल के सबसे करीब थी, उसे उन्होंने अपनी जुबानी आकाशवाणी के श्रोताओं को सुनाया।
परिक्रमा के लिए आकाशवाणी रायपुर से मैं विकल्प शुक्ला
Vinod Kumar Shukla was recently honoured with the prestigious Jnanpith Award. He was also conferred with the Sahitya Akademi Award for his novel, Deewar Mein Ek Khidki. His poetry collection, Lagbhag Jai Hind, and the novel, Naukar Ki Kameez, earned him wide acclaim.
श्री शुक्ला पिछले पचास वर्षों से साहित्यिक लेखन में सक्रिय रूप से जुड़े हुए थे। उनकी रचनाओं का कई भाषाओं में अनुवाद भी हो चुका है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रख्यात लेखक और ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित विनोद कुमार शुक्ला के निधन पर शोक व्यक्त किया। सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में मोदी ने कहा कि हिंदी साहित्य जगत में विनोद कुमार शुक्ला के अमूल्य योगदान को हमेशा याद किया जाएगा। प्रधानमंत्री ने प्रख्यात लेखक के परिवार और प्रशंसकों के प्रति अपनी संवेदना भी व्यक्त की है।
शुक्ला ने अपने साहित्यिक सफर की शुरुआत एक कवि के रूप में की और उनके गद्य लेखन में उनकी पूरी जीवन यात्रा के दौरान एक सशक्त काव्यमयता बनी रही। उनकी रचनाएँ अक्सर कथानक-आधारित पारंपरिक कहानियों से हटकर, क्लर्कों, मध्यमवर्गीय परिवारों और छोटे कस्बों के निवासियों जैसे आम लोगों के जीवन के माध्यम से मानवीय चेतना का अन्वेषण करती थीं।
उनकी अन्य प्रसिद्ध रचनाओं में “खिलेगा तो देखेंगे” और “सब कुछ होना बचा रहेगा” (1992) कविता संग्रह शामिल हैं। उनकी कहानियों और कविताओं का कई भाषाओं में अनुवाद हो चुका है, जिससे उनकी आवाज़ हिंदी भाषी क्षेत्र से परे तक पहुँचती है। शुक्ला की शैली, जिसे गीतात्मक, ध्यानमग्न और लगभग अतियथार्थवादी बताया गया है, ने लेखकों और पाठकों की कई पीढ़ियों को प्रभावित किया है, जिन्होंने उनकी रचनाओं के माध्यम से जीवन की जटिलताओं का प्रतिबिंब पाया। उनकी रचनाएँ सरल ग्रामीण जीवन के माध्यम से गहरे सत्यों को उजागर करती थीं।
In 2023, he was awarded the Jnanpith Award, India’s highest literary honour, a recognition widely viewed as long overdue. Vinod Kumar Shukla shared his heartfelt thoughts upon receiving the prestigious Jnanpith Award.
With tributes pouring in from literary circles and fans, the impact of Shukla on Hindi literature has left an imprinted mark. His writings will continue to encourage generations to come to move beyond the surface of life’s activities and witness beauty in subtle presentations.
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क्षेत्रीय संवाददाता:
केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव ने कहा है कि कुछ राजनीतिक दल, विशेषकर कांग्रेस, अरावली पहाड़ियों पर सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के संबंध में गलत सूचना फैला रहे हैं। उन्होंने कहा कि वे सर्वोच्च न्यायालय के फैसले की गलत व्याख्या कर रहे हैं और अपने स्वार्थों को पूरा करने के लिए इसे राजनीतिक हथियार के रूप में इस्तेमाल कर रहे हैं। आकाशवाणी से बातचीत में श्री यादव ने लोगों से विपक्ष द्वारा फैलाए जा रहे इस दुष्प्रचार के झांसे में न आने का आग्रह किया।
कांग्रेस तो झूठ और भ्रम इसमें फैलाने की कोशिश कर रही है। वास्तविकता तो यह है कि अरावली में जो लगभग मुझे जानकारी जो दी है कि 11 सौ 12 सौ माइंस राजस्थान में 700 तो अशोक गहलोत के समय में दी गई है ऐसे भ्रामक आंकड़ों में जानता नहीं आ रही है उनका झूठ लगातार फेल हो रहा है। सर्वोच्च न्यायालय का निर्णय अभी भी सर्वोच्च न्यायालय में ओपन है तो अनावश्यक एक न्यायालय के निर्णय को अपना राजनीतिक हथियार बना रहे हैं जो उचित नहीं है।
श्री यादव ने स्पष्ट किया कि सर्वोच्च न्यायालय का फैसला अरावली क्षेत्र में अवैध खनन पर रोक लगाने का है।
कुछ लोगों ने भ्रम फैलाना शुरू किया, झूठ बोलना शुरू किया जबकि वास्तविकता यह है कि अरावली में खनन माफिया को रोकने के लिए, अवैध खनन को रोकने के लिए, अच्छा इसकी परिभाषा कहीं भी उपलब्ध नहीं थी, कहीं भी उपलब्ध नहीं, कोई कानूनी परिभाषा नहीं। यह सर्वोच्च न्यायालय ने खनन क्षेत्र में अरावली में दोहन ना हो अपने निर्णय की अनुकूलता के लिए कि हम अरावली में खनन क्षेत्र रोकना चाहते हैं मतलब इस क्षेत्र में एकदम खनन को रोका जाए और अवैध खनन को रोका जाए इसलिए यह निर्णय आया है।
श्री यादव से यह बातचीत आज शाम सात बजकर 10 मिनट पर हमारे कार्यक्रम “सुर्खियों में” के अंतर्गत आकाशवाणी एफएम गोल्ड चैनल 100 दशमलव एक पर प्रसारित किया जाएगा। इसका सीधा प्रसारण हमारे मोबाइल ऐप न्यूजऑनएआईआर और यूट्यूब चैनल न्यूजऑनएआईआर आफिशियल पर भी होगा।
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The world-famous Dhanu Yatra, an 11-day epic open-air theatre festival depicting the Krishna-Kansa myth will begin at Bargarh in Odisha this evening.
“As dusk descends over western Odisha, the historic town of Bargarh prepares to relive an age-old legend. This evening marks the commencement of ‘Dhanu Yatra’, the world’s largest open-air theatre, where mythology steps out of books and comes alive on the streets. For the next eleven-days, Bargarh itself becomes Mathura. The resonant laughter of Maharaja Kansa echoes through the air, while streets, courtyards and palaces transform into vibrant stages. From the grandeur of the ‘Rangamahal’ to the serene court of ‘Nanda Raja’, episodes from the life of Lord Krishna unfold naturally, blending devotion with drama. What sets ‘Dhanu Yatra’ apart is its spirit of inclusiveness. There is no clear divide between actor and audience here. Residents and visitors alike become part of the narrative, walking alongside legends and witnessing history breathe in real time. Thousands of visitors from across Odisha and beyond have gathered to experience this unique cultural phenomenon. President Droupadi Murmu who hails from Odisha, in a social media message, has said that ‘Dhanu Yatra’ enjoys a distinctive identity in India and abroad because of its unparalleled tradition. She expressed hope that its vivid mythological presentations will inspire spiritual consciousness and strengthen cultural pride. Prakash Dash for Parikrama.
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महान स्वतंत्रता सेनानी वीर दामोदर सावरकर द्वारा रचित कविता सागरा प्राण तलमल्ला के एक सौ पन्द्रह वर्ष पूरे होने के अवसर पर श्री विजयपुरम में विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस अवसर पर राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत और केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह की उपस्थिति में वीर सावरकर की प्रतिमा का भव्य अनावरण किया गया।
द्वीपसमूह में महान स्वतंत्रता सेनानी वीर विनायक दामोदर सावरकर द्वारा रचित ऐतिहासिक कविता सागरा प्राण तलमल्ला के एक सौ पन्द्रह वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया गया। सागरा प्राण तलमल्ला एक मराठी कविता है, जिसे वीर सावरकर ने सेल्यूलर जेल में बंदी रहने के दौरान लिखी थी। द्वीपसमूह में महान स्वतंत्रता सेनानी वीर सावरकर की प्रतिमा का भव्य अनावरण किया गया। इस ऐतिहासिक अवसर पर राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत और केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह विशेष रूप से उपस्थित थे। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में स्थानीय लोग, जन-प्रतिनिधि और प्रशासनिक अधिकारी भी शामिल हुए। गृह मंत्री अमित शाह ने अपने संबोधन में स्वतंत्रता संग्राम में वीर सावरकर के अद्वितीय योगदान, त्याग और राष्ट्र भक्ति को स्मरण किया। उन्होंने कहा कि सावरकर का जीवन साहस, संघर्ष और राष्ट्र के प्रति समर्पण का प्रतीक है। अंडमान की सेल्यूलर जेल से जुड़ा उनका संघर्ष भारतीय इतिहास का महत्वपूर्ण अध्याय है। कार्यक्रम के दौरान यह भी कहा गया कि वीर सावरकर के विचार आज की युवा पीढ़ी के लिए प्रेरणा का स्रोत है और उनकी प्रतिमा आने वाली पीढ़ियों को देशभक्ति और कर्तव्यबोध की सीख देगी। । परिक्रमा के लिए, श्री विजयपुरम से संपादक अंकित कुलश्रेष्ठ के साथ मैं तरन्नुम मोहम्मद।
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अब हम याद करेंगे महान स्वतंत्रता सेनानियों को और बात करेंगे उन महान व्यक्तियों की जिनकी आज है-पुण्यतिथि, जयंती या जन्मदिन।
Intro: Decades may pass, eras may change… but some voices remain immortal.
Mohammed Rafi, a name that still echoes in every note of nostalgia.
He recorded songs for over a thousand Hindi films and in many Indian languages as well as some foreign languages. Despite reaching the pinnacle of his career, Rafi remained humble about his success. His generosity included singing free of charge for his friends, financial help to those who needed it and even getting medical equipment for local hospitals from his tours abroad. On his birth anniversary today, here is a tribute to the legend….
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अनिल कपूर
आज जन्मदिन है फिल्म अभिनेता अनिल कपूर का।
अनिल कपूर की मुख्य नायक के रूप में पहली फिल्म थी 1983 की वो सात दिन, जिसमें उन्होंने बेहद स्वाभाविक अभिनय करके दर्शकों का दिल जीत लिया। लेकिन उससे पहले उन्होंने फ़िल्म ‘हम पाँच’ (1980) और ‘शक्ति’ (1982) जैसी सुपरहिट फिल्मों में छोटी मगर अहम भूमिकाएं निभाकर अपने किरदार को अमर कर दिया। हालाकि उन्होंने अपने फ़िल्मी कॅरियर की शुरुआत उमेश मेहरा की फ़िल्म ‘हमारे तुम्हारे’ (1979) के साथ एक सहायक अभिनेता के रूप में की थी।
Known to be one of the most energetic stars of Bollywood, he is loved for his strong screen presence and ageless looks.
बाद में अनिल कपूर ने दक्षिण भारतीय सिनेमा की तरफ भी रूख किया और तेलुगू फ़िल्म वम्सावृक्षं, और मणिरत्नम में और कन्नड़ फ़िल्म ‘पल्लवी अनुपल्लवी’ में काम किया। ‘मेरी जंग’, ‘चमेली की शादी’, ‘जांबाज’, ‘कर्मा’, ‘मिस्टर इंडिया’, ‘तेज़ाब’, ‘राम लखन’, ‘घर हो तो ऐसा’, ‘बेटा’, ‘1942 ए लव स्टोरी’, ‘विरासत’, ‘हम आपके दिल में रहते हैं’, ‘ताल’, ‘बुलंदी’, ‘पुकार’, ‘नायक’, ‘वेलकम’, ‘रेस’ और हालीवुड मूवी ‘स्लमडॉग मिलयनइयर’ जैसी फ़िल्में उनकी कामयाबी का जीता-जागता सबूत हैं। इसके अलावा उन्होंने टेलीविजन के पर्दे पर भी अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। कुछ फिल्मों के गीतों में पार्श्व गायन करके उन्होंने गायन के क्षेत्र में भी हाथ आजमाया। आज भी अनिल कपूर बड़े जोर-शोर से अभिनय की दुनिया में सक्रिय हैं।
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TODAY IT’S India’s javelin star, Neeraj Chopra’S BIRTHDAY, having emerged as one of the figures who has reshaped Indian athletics on the global stage.
Chopra created history at the Tokyo Olympics in 2020 by winning a gold medal in track and field, making him the first Indian athlete to achieve the feat. He followed it up with another gold medal at the 2023 World Athletics Championships becoming the first Indian world champion in athletics.
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