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मुख्य समाचार-
राष्ट्र आज 76वां स्वतंत्रता दिवस मना रहा है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने नई दिल्ली में लालकिले की प्राचीर पर ध्वाजारोहण कर राष्ट्र को संबोधित किया, कहा- भारत ने दुनिया में वसुदेव कुटुम्बकम का संदेश दिया।
प्रधानमंत्री ने कहा- स्वतंत्रता की 75 वर्ष की यात्रा अनेक उतार चढ़ाव वाली रही, लेकिन देशवासियों ने हार नहीं मानी।
श्री मोदी ने कहा - आतंकवाद और छद्म युद्ध की चुनौतियों के बावजूद देश आगे बढ़ता रहा है।
प्रधानमंत्री ने अमृतकाल के लिए सामर्थ्य, संकल्प, शक्तियों सहित पंच प्रण को अगले 25 वर्षों पर केन्द्रित करने का आह्वान किया।
श्री मोदी ने कहा- विकास के लिए मानव केन्द्रित व्यवस्था विकसित की जाएगी।
प्रधानमंत्री ने कहा- हम जन-कल्याण से जग-कल्याण के राही हैं।
नरेन्द्र मोदी ने कहा- आत्मनिर्भर भारत समाज का जन-आंदोलन है। हमें समाज के हर क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनना है।
प्रधानमंत्री ने अमृतकाल के लिए जय अनुसंधान को अनिवार्य बताया।
प्रधानमंत्री ने कहा- भ्रष्टाचार देश को दीमक की तरह खोखला कर रहा है। परिवारवाद की राजनीति ने देश को बर्बाद किया है।
राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू ने स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्र को संबोधित किया, कहा- वंचितों, जरूरतमंदों और समाज के हाशिये पर रहने वाले लोगों के कल्याण हेतु कार्य करना वर्तमान भारत के लिए महत्वपूर्ण है।
सेना और केन्द्रीय सशस्त्र पुलिस बल के जवानों के लिए 107 वीरता पदकों की घोषणा।
आकाशवाणी आज से देश की स्वतंत्रता की यात्रा पर विशेष श्रृंखला आजाद भारत की बात आकाशवाणी के साथ शुरू कर रहा है।
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राष्ट्र आज 76वां स्वतंत्रता दिवस मना रहा है। स्वतंत्रता के 75 वर्ष पूरे होने के अवसर पर देश आजादी का अमृत महोत्सव भी मना रहा है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पिछले वर्ष मार्च में साबरमती आश्रम से आजादी का अमृत महोत्सव का शुभारंभ किया था।
प्रधानमंत्री मोदी ने आज नई दिल्ली में लाल किले की प्राचीर पर राष्ट्रीय ध्वज फहराया और राष्ट्र को संबोधित किया।
राष्ट्र को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि यह प्रसन्नता और गर्व की बात है कि आजादी के 75 वर्ष बाद भी तिरंगा आन-बान-शान से लहरा रहा है।
आजादी के 75 वर्ष पूर्ण होने पर देशवासियों को अनेक-अनेक शुभकामनाएं। न सिर्फ हिन्दुस्तान का हर कोना, लेकिन दुनिया के हर कोने में आज किसी न किसी रूप में भारतीयों के द्वारा या भारत के प्रति अपार प्रेम रखने वालों के द्वारा विश्व के हर कोने में ये हमारा तिरंगा आन बान शान के साथ लहरा रहा है। मैं विश्व भर में फैले हुए भारत प्रेमियों को, भारतीयों को आजादी के इस अमृत महोत्सव की बहुत-बहुत बधाई देता हूं। आज का यह दिवस ऐतिहासिक दिवस है। एक पुण्य पड़ाव, एक नई राह, एक नये संकल्प और नये सामर्थ्य के साथ कदम बढ़ाने का यह शुभ अवसर है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि हम सब गांधीजी, सुभाष चन्द्र बोस और वीर सावरकर जैसे महान नेताओं के कृतज्ञ हैं, जिन्होंने देश के लिए पूरा जीवन समर्पित कर दिया।
श्री मोदी ने कहा कि राष्ट्र क्रांतिकारियों और वीरांगनाओं का कृतज्ञ है, जिन्होंने अपना सर्वस्व देश के लिए न्यौछावर कर दिया।
यह राष्ट्र कृतज्ञ है उन वीरांगनाओं के लिए, रानी लक्ष्मी बाई हो, ललकारी बाई, दुर्गा भाभी, रानी गायदिलयो, रानी चैनम्मा, बेगम हजरत महल, बेनू नित्यार भारत की नारी शक्ति क्या होती है, भारत की नारी शक्ति का संकल्प क्या होता है, भारत की नारी त्याग और बलिदान की क्या पराकाष्ठा कर सकती है वैसी अनगिनत वीरांगनाओं का स्मरण करते हुए हर हिंदुस्तानी गर्व से भर जाता है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि स्वतंत्रता संघर्ष में आदिवासी समाज का योगदान अविस्मरणीय है।
डॉक्टर राजेन्द्र प्रसाद जी हों, नेहरू जी हों, सरदार बल्लभ भाई पटेल, श्यामा प्रसाद मुखर्जी, लाल बहादुर शास्त्री, दीन दयाल उपाध्याय, जय प्रकाश नारायण, राम मनोहर लोहिया, आचार्य बिनोवा भावे, नानाजी देशमुख, सुब्रह्मण्यम भारती अनगिनत ऐसे महापुरूषों को आज नमन करने का अवसर है। जब हम आजादी के जंग की चर्चा करते हैं तो हम उन जंगलों में जीने वाले हमारे आदिवासी समाज का भी गौरव करना हम नहीं भूल सकते। भगवान बिरसा मुंडा, सिद्धो कानो, अल्लुरी सीताराम राजू, गोविंद गुरु अनगिनत नाम हैं जिन्होंने आजादी के आंदोलन की आवाज बन करके दूर-सुदूर जंगलों में भी मेरे आदिवासी भाई-बहनों ने, माताओं ने, युवकों ने मातृभूमि के लिए मातृभूमि के लिए जीने-मरने की प्रेरणा जगाई है।
श्रीमोदी ने कहा कि आजादी की लड़ाई के कई रूपों में एक वह रूप भी था, जिसमें संतों ने जन-जन की चेतना को जगाने का कार्य किया।
श्री मोदी ने कहा कि 14 अगस्त को विभाजन विभीषिका दिवस को उन महान विभूतियों को भी नमन किया गया, जिन्होंने असहनीय यातनाएं झेलीं।
अमृत महोत्सव के दौरान इन सभी महापुरुषों को नमन करने का अवसर रहा। कल 14 अगस्त को भारत ने विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस भी बड़े भारी मन से, हृदय के गहरे घावों को याद करते हुए उन कोटि-कोटि जनों ने बहुत कुछ सहन किया था। तिरंगे की शान के लिए सहन किया था। मातृभमि की मिट्टी से मोहब्बत के कारण सहन किया था और धैर्य नहीं खोया था। भारत के प्रति प्रेम ने नई जिंदगी की शुरूआत करने का उनका संकल्प नमन करने योग्य है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि स्वतंत्रता के 75 वर्ष की यात्रा अनेक उतार-चढाव भरी रही है, लेकिन दुख-सुख के बावजूद देशवासियों ने हार नहीं मानी। उन्होंने कहा कि सैंकडों वर्ष की गुलामी भी देशवासियों की जिद नहीं तोड सकी।
प्रधानमंत्री ने कहा कि आतंकवाद और छद्म युद्ध ने समय-समय पर चुनौती प्रस्तुत की। लेकिन इसके बावजूद देश आगे बढता रहा।
इस मिट्टी में वह सामर्थ्य है जो सियासतों से भी परे सामर्थ्य का एक अंतर प्रभार लेकरके जीता रहा है। सदियों तक जीता रहा है। और उसी का परिणाम है, हमने क्या कुछ नहीं झेला। कभी अन्न का संकट झेला, कभी युद्ध के शिकार हो गये, आतंकवाद ने डगर-डगर चुनौतियां पैदा की। निर्दोष नागरिकों को मौत की घाट उतार दिया गया। छद्म युद्ध चलते रहे। प्राकृतिक आपदाएं आती रहीं। सफलता, विफलता, आशा, निराशा न जाने कितने पड़ाव आये हैं, लेकिन इन पड़ाव के बीच भी भारत आगे बढ़ता रहा।
श्री मोदी ने कहा कि भारत लोकतंत्र की जननी है।
भारत की विविधता जो औरों को भारत के लिए बोझ लगती थी, वो भारत की विविधता ही भारत की अमोल शक्ति है। शक्ति का एक अटूट प्रवाह है। दुनिया का पता नहीं था कि भारत के पास एक इनहैरेंट सामर्थ्य है। एक संस्कार सरिता है, एक मन मस्तिष्क का, विचारों का बंधन है और वो है भारत लोकतंत्र की जननी है। मदर ऑऱ डेमोक्रेसी है। और जिनके जेहन में लोकतंत्र होता है, वे जब संकल्प करके चल पड़ते हैं, वो सामर्थ्य दुनिया की बड़ी-बड़ी सल्तनतों के लिए भी संकट का काल लेकर आती है। ये लोकतंत्र की जननी हमारे भारत ने सिद्ध कर दिया कि हमारे पास एक अनमोल सामर्थ्य है।
श्री मोदी ने कहा कि पीडित, वंचित, दिव्यांगजनों सहित अंतिम छोर तक बैठे लोगों के कल्याण पर ध्यान दिया जा रहा है।
श्री मोदी ने कहा कि इस समय देश के हर वर्ग के मन में आकांक्षा है, जो आगे बढना चाहता है, प्रगति चाहता है। प्रधानमंत्री ने कहा कि देश में सामूहिक चेतना का पुनर्जागरण हुआ है। यह हमारी सबसे बडी अमानत है।
देश का हर नागरिक गति चाहता है, वो प्रगति चारता है। 75 साल में संजोये हुए सारे सपने अपने ही आंखों के सामने पूरा करने के लिए वो लालायित है, उत्साहित है, उत्तावला भी है। कुछ लोगों को इसके कारण संकट हो सकता है, क्योंकि जब ऐस्पिरेशनल सोसायटी होती है, तो सरकारों को भी तलवार की धार पर चलना पड़ता है। सरकारों को भी समय के साथ दौड़ना पड़ता है। केन्द्र सरकार हो, राज्य सरकार हो, स्थानीय स्वराज को संस्थाएं हों, हर किसी को इन एस्पिरेशनल सोसायटी को एड्रेस करना पड़ेगा। उनकी आकांक्षाओं के लिए हम ज्यादा इंतजार नहीं कर सकते।
श्री मोदी ने कहा कि आज पूरे विश्व का भारत की तरफ देखने का नजरिया बदल रहा है, जो हमारी 75 वर्ष की संकल्प यात्रा का परिणाम है।
दुनिया कोरोना के काल खंड में वैक्सीन लेना या न लेना, वैक्सीन काम का है कि नहीं है। उस उलझन में जी रहा था, उस समय मेरे देश के गांव गरीब भी दो सौ करोड़ डोज दुनिया को चौका देने वाला काम करते दिखा देते हैं, यही चेतना है, यही सामर्थ्य है। इस सामर्थ्य ने आज देश को एक नई ताकत दी है। मेरे प्यारे बहनों-भाईयों तीसरा एक महत्वपूर्ण सामर्थ्य मैं देख रहा हूं, जैसे एस्पिरेसनल सोसायटी, जैसे पुनर्जागरण वैसे ही आजादी के इतने दशकों के बाद पूरे विश्व का भारत की तरफ देखने का नजरिया बदल चुका है। विश्व की सोच में यह परिवर्तन 75 साल की हमारी अऩुभव यात्रा का परिणाम है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि राजनीतिक स्थिरता और नीतियों में गतिशीलता के कारण ही भारत बदल रहा है।
आज दुनिया में एक विश्वास जगने में मेरे देशवासियों को बहुत बड़ी भूमिका है। एक सौ 30 करोड़ देशवासियों ने कई दशकों के अनुभव के बाद स्थिर सरकार का महत्व क्या होता है, राजनीतिक स्थिरता का महत्व क्या है, पॉलिटिकल स्टेबलिटी दुनिया में किस प्रकार की ताकत दिखा सकती है, नीतियों में कैसा सामर्थ्य होता है, उन नीतियों पर विश्व का कैसे भरोसा बनता है, यह भारत ने दिखाया है और दुनिया भी इसे समझ रही है। और हम जब राजनीतिक स्थिरता हो, नीतियों में गतिशीलता हो, निर्णयों में तेजी हो, सर्वव्यापकता हो, सर्व समावेशीकता हो, विकास से लिए हर कोई भागीदार बनता है।
उन्होंने कहा कि 75 वर्ष की उपलब्धियों पर पीठ थपथपाने के साथ अब अमृत काल में अपनी सामर्थ्य, संकल्प शक्तियों सहित पंच प्रण को आने वाले 25 वर्षों पर केन्द्रित करना होगा।
जब मैं पंच प्राण की बात करता हूं तो पहला प्राण अब देश बड़े संकल्प ले करके ही चलेगा और वह बड़ा संकल्प है विकसित भारत। अब उससे कुछ कम नहीं होना चाहिए। बड़ा संकल्प, दूसरा प्राण, किसी भी कोने में हमारे मन के भीतर, हमारी आदतों के भीतर, गुलामी का एक भी अंश अगर अभी भी है तो उसको किसी भी हालत में बचने नहीं देना है। तीसरी प्राण शक्ति हमें हमारे विरासत पर गर्व होना चाहिए। इसने कभी भारत का स्वर्णिम काल दिया था। यही विरासत है जो समयानुकूल परिवर्तन करने की आदत रखती है। चौथा प्राण एकता और एकजुटता। एक सौ 30 करोड़ देशवासियों में एकता, न कोई अपना, ने कोई पराया। एकता की ताकत एक भारत श्रेष्ठ भारत के लिए हमारा चौथा प्राण है। पांचवां प्राण है - नागरिकों का कर्तव्य।
प्रधानमंत्री ने कहा कि जब सपने बडे होते हैं, संकल्प बडे होते हैं तो पुरूषार्थ भी बडा होता है।
श्री मोदी ने कहा कि अमृत काल की पहली प्रभात में प्रण करना होगा कि हमें भारत को अगले 25 वर्ष में विकसित देश बनाना है।
इस मिट्टी में वह सामर्थ्य है जो सांसतों से भी पड़े, सामर्थ्य का एक अंतर प्रभार लेकर के जीता रहा है। सदियों तक जीता रहा है और उसी का परिणाम है हमने क्या कुछ नहीं झेला। कभी अन्न का संकट झेला, कभी युद्ध के शिकार हो गये, आतंकवाद ने डगर-डगर चुनौतियां पैदा की। निर्दोष नागरिकों को मौत के घाट उतार दिया गया। छद्म युद्ध चलते रहे। प्राकृतिक आपदायें आती रहीं। सफलता, विफलता, आशा, निराशा न जाने कितने पड़ाव आये हैं, लेकिन इन पड़ाव के बीच भी भारत आगे बढ़ता रहा।
प्रधानमंत्री ने कहा कि हम मानव केन्द्रित व्यवस्था विकसित करेंगे और विकास के केन्द्र में मानव होगा।
श्री मोदी ने कहा कि भारत ने तय समय में दो सौ करोड टीके लगाने का रिकार्ड बनाया है।
उन्होंने कहा कि दस प्रतिशत एथेनॉल मिश्रण का लक्ष्य भी समय से पहले प्राप्त किया गया।
हमने तय किया था देश जो खाड़ी के तेल पर हम गुजारा करते हैं, खाड़ी के तेल की ओर कैसे बढ़ें। दस प्रतिशत एथेनॉल ब्लेंडिंग का सपना बड़ा लगता था। पुराना इतिहास बताता था, संभव नहीं है। लेकिन समय से पहले दस प्रतिशत एथेनॉल ब्लेंडिंग करके देश ने इस सपने को पूरा कर दिया है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि अब प्रतिभा को भाषा के बंधनों में कैद नहीं रहने दिया जाएगा।
हमने देखा है, कभी-कभी तो हमारी टैलेंट आशा के बंधनों में बंध जाती है। ये गुलामी की मानसिकता का परिणाम है। हमें हमारे देश की हर भाषा पर गर्व होना चाहिए। वो हमें भाषा आती हो या नहीं आती हो, लेकिन मेरे देश की भाषा है, मेरे पूर्वजों ने दुनिया को दी हुई सौगात है। हमें गर्व होना चाहिए। मेरे साथियों आज डिजिटल इंडिया का रूप हम देख रहे हैं। स्टार्ट अप देख रहे हैं। कौन लोग हैं जो टियर-टू, टियर-थ्री सिटी में किसी गांव गरीब के परिवार में बसे हुए लोग हैं। ये हमारे नौजवान हैं जो आज नई-नई खोज के साथ दुनिया के सामने आ रहे हैं। गुलामी की मानसिकता, हमें उसे तिलांजलि देनी पड़ेगी। अपने सामर्थ्य पर भरोसा करना होगा।
प्रधानमंत्री ने कहा कि हमें अनुशासित जीवन और कर्तव्य के प्रति समर्पण पर बल देना ही होगा।
श्री मोदी ने महर्षि अरविंदो की जयंती पर उन्हें नमन करते हुए कहा कि हमें दुनिया पर निर्भर रहना छोडना होगा और भारत को आत्मनिर्भर बनाना होगा।
प्रधानमंत्री ने कहा कि 75 वर्ष में पहली बार लाल किले पर भारत में बनी तोप से सलामी दी गई, जो हम सबके लिए गौरव की बात है।
75 साल के बाद लालकिले पर से तिरंगे को सलामी देने का काम पहली बार मेड इन इंडिया तोप ने किया है। कौन हिंदुस्तानी होगा जिसको यह बात एक आवाज उसे नई प्रेरणा, ताकत नहीं देगी।
प्रधानमंत्री ने कहा कि अमृतकाल में जय अनुसंधान पर ध्यान देना होगा जो लाल बहादुर शास्त्री के जय जवान, जय किसान के नारे को आगे बढाएगा।
हम बार-बार लालबहादुर शास्त्री जी को याद करते हैं। जय जवान, जय किसान का उनका मंत्र आज भी देश के लिए प्रेरणा है। बाद में अटल बिहारी वाजपेयी जी ने जय विज्ञान कह करके उसमें एक कड़ी जोड़ दी थी और देश ने उसको प्राथमिकता दी थी। लेकिन अब अमृत काल के लिए एक और अनिवार्यता है और वो है जय अनुसंधान। जय जवान, जय किसान, जय विज्ञान, जय अनुसंधान।
श्री मोदी ने कहा कि भ्रष्टाचार और भाई-भतीजावाद ऐसी बुराई है, जिन्हें दूर करने के लिए अमृतकाल में पूरा ध्यान देना होगा।
एक तरफ वो लोग हैं जिनके पास रहने के लिए जगह नहीं है, दूसरे पार लोग हैं जिनको अपना चोरी किया हुआ माल रखने के लिए जगह नहीं है ये स्थिति अच्छी नहीं है और इसलिए हमें भ्रष्टाचार के खिलाफ पूरी ताकत से लड़ना है। पिछले आठ वर्षों में सारे बेनीफिट ट्रांस्फर के द्वारा आधार, मोबाइल इन सारे आधुनिक व्यवस्था का उपयोग करते हुए जो लाख करोड़ रुपए गलत हाथों में जाते थे उसको बचाकर के देश की भलाई के लिए काम करने में हम सफल हुए। जो लोग पिछली सरकारों में बैंकों को लूट-लूटकर के भाग गए उनकी संपत्ति जब्त कर करके वापिस लाने की कोशिश कर रहे हैं। कइयों को जलन है जीने के लिए मजबूर करके रखा है। हमारी कोशिश है जिन्होंने देश को लूटा है, उनको लौटाने पड़े ये हमारी कोशिश है।
श्री मोदी ने कहा कि करोडो संकट हैं।
अगर इस देश के सामने करोड़ों संकट हैं तो करोड़ों समाधान भी हैं और मेरा 130 करोड़ देशवासियों पर भरोसा है। 130 करोड़ देशवासी निर्धारित लक्ष्य के साथ, संकल्प के प्रति समर्पण के साथ 130 करोड़ देशवासी कदम आगे रखते हैं तो हिंदुस्तान 130 करोड़ कदम आगे बढ़ जाता है। इस सामर्थ्य को लेकर के आगे बढ़ना है। इस अमृत काल में अमृत काल की पहली बेला है, पहली प्रभात है। हमें आने वाले 25 को एकपल भी भूलना नहीं है। एक-एक दिन समय का प्रत्येक क्षण, जीवन का प्रत्येक कण, मातृभूमि के लिए जीना आजादी के दिवानों को हमारी सच्ची श्रद्घधांजलि होगी।
ध्वजारोहण से पहले प्रधानमंत्री ने समर स्मारक पर जाकर देश के अमर बलिदानियों को राष्ट्र की ओर से श्रद्धांजलि अर्पित की।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने देशवासियों से अपने मौलिक कर्तव्यों के बारे में जानकारी लेने और उनको सही और मूल भावना के साथ अपनाने का आह्वान किया है। उन्होंने कहा कि इससे देश नई ऊंचाईयों पर पहुंचेगा। स्वतंत्रता दिवस की पूर्व-संध्या पर कल राष्ट्र को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि भारत का मुख्य उद्देश्य वंचितों, जरूरतमंदों और हाशिये पर रह रहे लोगों के लिए सद्भाव है।
भारत में आज संवेदनशीलता व करुणा के जीवन-मूल्यों को प्रमुखता दी जा रही है। इन जीवन-मूल्यों का मुख्य उद्देश्य हमारे वंचित, जरूरतमंद तथा समाज के हाशिये पर रहने वाले लोगों के कल्याण हेतु कार्य करना है। हमारे राष्ट्रीय मूल्यों को, नागरिकों के मूल कर्तव्यों के रूप में, भारत के संविधान में समाहित किया गया है। देश के प्रत्येक नागरिक से मेरा अनुरोध है कि वे अपने मूल कर्तव्यों के बारे में जानें, उनका पालन करें, जिससे हमारा राष्ट्र नई ऊंचाइयों को छू सके।
राष्ट्रपति बनने के बाद पहली बार राष्ट्र को संबोधित करते हुए श्रीमती मुर्मू ने कहा कि विश्व की तेजी से उभर रही प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में भारत भी एक है।
उप राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर लोगों को बधाई दी है। उन्होंने अपने संदेश में कहा है कि स्वतंत्रता दिवस उन बहादुर स्वतंत्रता सेनानियों का स्मरण करने और श्रद्धांजलि अर्पित करने का एक अवसर है जिनके साहस और बलिदान ने दमनकारी औपनिवेशिक शासन से आजादी दिलाई।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर सशस्त्र बलों के लिए एक सौ सात वीरता पुस्कारों की स्वीकृति दे दी है। इनमें 3 कीर्ति चक्र, 13 शौर्य चक्र, 2 बार-सेना पदक, 81 सेना पदक, एक नौसेना पदक और सात वायु सेना पदक शामिल हैं।
विंग कमांडर दीपिका मिश्रा फ्लाइंग पायलट को अद्वितीय साहस के लिए वायु सेना पदक के लिए चुना गया है। स्क्वाड्न लीडर दिलीप गुरनानी को अद्वितीय साहस के लिए वायु सेना पदक दिया जाएगा। विंग कमांडर अभिषेक पुजारी को कर्तव्य निष्ठा के लिए प्रेषण उल्लेख, सार्जेंट परमेन्दर सिंह परमार और ग्रुप कैप्टन रवि नन्दा को अद्वितीय साहस के लिए वायु सेना पदक देने की घोषणा की गई है।
रेलवे सुरक्षा बल और रेलवे विशेष सुरक्षा बल के सोलह कर्मियों को उनकी विशिष्ट सेवा के लिए राष्ट्रपति का पुलिस पदक और उत्कृष्ट सेवा के लिए पुलिस पदक देने की घोषणा की गई है। पश्चिम रेलवे के प्रधान मुख्य सुरक्षा आयुक्त प्रवीण चन्द्र सिन्हा को विशिष्ट सेवा के लिए राष्ट्रपति का पुलिस पदक दिया जाएगा।
देश का सबसे बड़ा लोक सेवा प्रसारक आकाशवाणी स्वतंत्रता से अब तक 75 वर्ष के दौरान लोगों तक सूचना और समाचार पहुंचा रहा है।
आकाशवाणी भारत की बात-आकाशवाणी के साथ नामक अनूठी पहल के साथ आजादी के 75 वर्ष पूरे होने का उत्सव मना रहा है। यह श्रृंखला आज से शुरु हो रही है। इस कार्यक्रम में आकाशवाणी- राष्ट्र की आवाज की कहानी के माध्यम से जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में स्वतंत्रता के बाद से भारत की यात्रा प्रसारित की जाएगी।
आजाद भारत की बात - आकाशवाणी के साथ कार्यक्रम में स्वतंत्रता से अब तक की स्मृतियां और उपलब्धियां प्रस्तुत की जाएंगी।
महान बलिदानों और सदियों की गुलामी से संघर्ष के बाद 15 अगस्त, 1947 को एक राष्ट्र का उदय हुआ।
भारत के लोग अपने भाग्यविधाता बने।
समाचार पत्रों से-
स्वतंत्रता के 75 वर्ष पूरे होने के अवसर पर देश में आजादी का अमृत महोत्सव के उल्लास और उत्साह की खबरे समाचार पत्रों में छाई हुई हैं। हिन्दुस्तान की सुर्खी है- कश्मीर से कन्याकुमारी तक राष्ट्रभक्ति का रंग। समूचे हिन्दुस्तान में गूंजा अमृत राग। दैनिक जागरण लिखता है- जम्मू-कश्मीर देशभक्ति और तिरंगे से हुआ सरोबार। श्रीनगर में एक हजार 850 मीटर लंबे राष्ट्रीय ध्वज को प्रदर्शित कर राष्ट्रीय रिकॉर्ड बनाया गया।
स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का राष्ट्र के नाम संबोधन सभी अखबारों के मुख पृष्ठ पर है। राजस्थान पत्रिका ने राष्ट्रपति के शब्दो को दिया है- दुनिया ने हाल के वर्षों में नए भारत को उभरते देखा।
अंत में मुख्य समाचार एक बार फिर-
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने नई दिल्ली में लालकिले की प्राचीर पर ध्वजारोहण कर राष्ट्र को संबोधित किया, कहा- भारत ने विश्व में वसुधैव कुटुम्बकम का संदेश दिया।